इस वजह से भारत आने वाले विदेशियों की संख्या में जोरदार इजाफा
सेहतराग टीम
किसी गंभीर बीमारी का इलाज कराने के लिए हमारे नेताओं के विदेश जाने की खबरें आज भी गाहे-बगाहे हमारे सामने आती ही रहती हैं मगर वर्तमान सरकार में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और पिछली सरकार में खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी गंभीर समस्याओं का इलाज देश में ही कराके एक उदाहरण पेश किया था। दरअसल पिछले करीब दो दशक में भारत में चिकित्सा क्षेत्र में इतनी तेज गति से बदलाव आए हैं कि अब किसी भी बीमारी के इलाज के लिए विदेश जाने की जरूरत ही नहीं रह गई है। विदेश के मुकाबले हिंदुस्तान में किफायती दरों पर इलाज उपलब्ध है। यही नहीं निजी अस्पतालों में तो सारी सुविधाएं भी विदेशी अस्पतालों जैसी ही मिलती हैं। दूसरी ओर भारत वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का भी गढ़ बन रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पर केंद्र और राज्य सरकारों के बढ़ते फोकस ने इसे विदेशों में भी लोकप्रिय बनाया है।
शायद यही वजह है कि अब समय का एक चक्र पूरा हो गया है। अब भारतीय विदेश नहीं जाते बल्कि विदेशी बड़ी संख्या में किफायती दरों पर गुणवत्ता पूर्ण इलाज के लिए भारत का रुख कर रहे हैं। केंद्र सरकार के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं।
केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि चिकित्सा वीजा पर भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। लोकसभा सदस्य रंजन बेन भट्ट के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के.जे. अल्फोंस ने सदन को बताया कि वर्ष 2016 और 2017 के दौरान चिकित्सा वीजा पर भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की अनुमानित संख्या क्रमश: 4 लाख 27 हजार 14 और 4 लाख 95 हजार 56 थी। यानी एक वर्ष में इस संख्या में करीब 16 फीसदी की वृद्धि हुई गई। वर्ष 2018 में ये संख्या और बढ़ सकती है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि भारत में चिकित्सा पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। चिकित्सा की भारतीय प्रणालियां - आयुर्वेद, योग, पंचकर्म, कायाकल्प पद्धति आदि - विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत कम दरों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबंधी देखभाल उपलब्ध करा सकता है। भारत अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं, प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संबंधी पेशेवरों, गुणवत्तायुक्त नर्सिंग सुविधाओं तथा परंपरागत स्वास्थ्य थेरेपियों के क्षेत्र में अग्रणी है।
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